प्रगतिशील लेखक संघ दुर्ग-भिलाई के वरिष्ठ कवियों और लेखको की उपस्थिति में बी.एस.पी. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेक्टर 8 भिलाई में 31 जुलाई 2009 को प्रेमचन्द जयंती के अवसर पर प्रेमचन्द की कहानी "पूस की रात " पर चर्चा रखी गई .प्राचार्य बी.आर.देशलहरा ने आमंत्रित साहित्यकारों का स्वागत करते हुए प्रेमचन्द के साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला तथा छात्रा वीणा ने प्रेमचन्द का जीवन परिचय प्रस्तुत किया . छात्र शशांक ने कहानी "पूस की रात " का पाठ किया .वरिष्ठ कवि रवि श्रीवास्तव ने शाला की साहित्य परिषद का उद्घाटन करते हुए कहा कि पूस की रात में भारतीय किसानों की जिस स्थिति का वर्णन किया गया है वह आज भी यथावत है .कवि एवं समालोचक तथा सन्यंत्र के राजभाषा प्रमुख अशोक सिंघई ने कहा कि प्रेमचन्द अपनी कहानी में मानवीय सम्वेदना और सहज सम्प्रेषण के लिये याद किये जायेंगे .प्रलेस के अध्यक्ष तथा कथाकार लोकबाबू ने कहा कि पूस की रात भारतीय किसान की किसानी छूटने तथा उसके मज़दूर बनने कि नियति कथा है . हिन्दी के प्रमुख युवा कवि शरद कोकास ने 'वागर्थ' में प्रकाशित प्रेमचन्द की आत्मकथा से उनके शालेय जीवन का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रेमचन्द की कथाओं मे आम आदमी ही नायक है .युवा शायर मुमताज़ ने कहा कि यह अच्छी बात है कि प्रेमचन्द की परम्परा में आज भी लेखन हो रहा है किंतु वह अपनी गरिष्ठता या कलात्मकता के मोहजाल मे असम्प्रेषणीय हो गया है.परिचर्चा के उपरांत श्रीमती संतोष झांजी,अशोक सिंघई,शरद कोकास. सचिव परमेश्वर वैषणव,विमल कुमार झा तथा मुमताज द्वारा काव्य-पाठ किया गया.शाला के वरिष्ठ व्याख्याता एल.डी.जोशी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया ।
प्रस्तुति-शरद कोकास ,दुर्ग
सुंदर रिपोर्टिंग! बधाई!
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