बिलासपुर । प्रगतिशील लेखक संघ एवं बिलासपुर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में पत्रकार कवि नथमल शर्मा के काव्य संग्रह "उसकी आंखों में समुद्र ढूंढता रहा है" पर एकाग्र संगोष्ठी का आयोजन आज यहां किया गया ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में नथमल शर्मा ने अपनी चुनिंदा कविताओं का पाठ किया । कविता संग्रह पर केन्द्रित अपनी टिप्पणी में पत्रकार बरूण श्रीवास्तव "सखाजी " ने कहा कि सरस,महसूसियत पर सवार होकर नजीरें पेश करता यह संग्रह कहीं कहीं कविताएँ बोता भी है । फिर थोड़ी ही देर बाद आगे से मुड़ते हैं तो वही बोया बीज अंकुरित नज़र आता है । यूँ तो विषय कोई छूटा नहीं पर खासतौर से रिश्ते,अनुभव,बातचीत और खुद के साथ हिसाब सा करती कविताएँ कई बार मारक जान पड़ती हैं ।
कविता संकलन पर एकाग्र अपने आलेख का पाठ करते हुए अंबिकापुर से आए विजय गुप्त ने कहा कि नथमल शर्मा की कविता में वैविध्य है । स्त्री,पुरूष,प्रकृति,संघर्ष, प्रेम,आवेग,उम्मीद,हताशा,वक्तव् य,विचार धारा, सब कुछ अपने कच्चे पक्के रूप में मौजूद है ।वह जनपक्षधर कवि हैं और अपनी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिबद्धताओं के प्रति चौकन्ने है व राजनीतिक सवालों से कतराते नहीं है और न ही अपनी जन प्रतिबद्धता छोड़ते हैं । अनुभवों और स्थितियों पर लिखी कविताएँ पाठकों को आह्लाद का एक नया धरातल देती है ।
संग्रह पर चर्चा की शुरुआत करते हुए नमिता घोष ने कहा कि कवि ने जीवन के भोगे हुए यथार्थ और सहज अनुभूतियों को रंगों में ढालते हुए एक कैनवास की रचना की। वे सामूहिक चेतना और प्रतिबद्धता युक्त मुखर कविताएँ हैं । चर्चा को आगे बढ़ाते हुए रफीक खान ने कहा कि ये कविताएं अपने आस-पास के परिवेश को मानवीय बनाने का रचनात्मक संकल्प है । कविताएं कवि की मानवीय समझ है।इनमें मानवीय चिंताओं का सकारात्मक रूपांतरण हुआ है । चर्चा को आगे बढ़ाते हुए अजय पाठक ने कुछ कविताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन कविताओं का सरोकार संवेदना से है । ये मुक्तिबोधीय चेतना से युक्त कविताएँ हैं । ये आम फहम शब्दों में व्यक्त की गई है और इनमें अतिरिक्त पांडित्य दिखाने का प्रयास नहीं किया गया है ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिलासपुर के कमिश्नर त्रिलोक महावर ने कहा कि सरल सहज शब्दों में अपनी बात कहने में कवि नथमल शर्मा पूरी तरह सफल हुए हैं । उन्होंने बहुत सारी चीजों को पूरी संजीदगी से अपनी कविताओं में पिरोया है । विकास की यात्रा सतत जारी रहती है । कविता संग्रह "उसकी आंखों में समुद्र ढूंढता रहा " के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हम बहुत कुछ खोते है उसके बाद ही कुछ पाते हैं । यह हमारे जीवन का यथार्थ है ।ढूँढने का काम जीवन भर अनवरत चलता है । खोए हुए को ढूढना बहुत मुश्किल काम है ।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कवि रामकुमार तिवारी ने कहा कि कविता भाषा का मानवीय करण करती है । हम भाषा को दूषित करते हैं । कवि की राजनीतिक चेतना की कविता-कविता की शर्तों पर राजनीति की बात करती है । नथमल शर्मा लोक संवेदन के कवि हैं । उनमें परंपरा बोध है वे कविता में विजुअल इफेक्ट पैदा करते हैं । उनकी कविताओं मे पत्रकार और कवि का द्वंद्व है ।
कार्यक्रम में हरीश केडिया,राजेश्वर सक्सेना,डाक्टर आर ए शर्मा, कालीचरण यादव, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल,भारती भट्टाचार्य, रंजना चतुर्वेदी,कैलाश गुप्ता,सविता प्रथमेश मिश्रा, कपूर वासनिक,हबीब खान,सत्यभामा अवस्थी,पवन शर्मा, शाकिर अली, रूद्र अवस्थी, सुनील चिथड़े, पी.आर.यादव, राजेश दुआ, दिनेश ठक्कर, नीलिमा मोइत्रा के साथ ही नगर के पत्रकार, साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन प्रेस क्लब के सचिव विश्वेष ठाकरे ने एवं आभार प्रदर्शन क्लब के अध्यक्ष तिलकराज सलूजा ने किया ।
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